ये कुछ क्षणिकाएं मैंने बचपन में "कादम्बनी" में पढ़ी थीं। लेखक का नाम याद नहीं है.. आप भी आनंद लीजिये कम शब्दों में छिपी गहराई का...
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देख लेती हैं
जीवन के सपने
अंधी आँखे भी
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आखिरी युद्ध
लड़ना है अकेले
मौत के साथ
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कौन मानेगा
सबसे कठिन है
सरल होना
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पल भर को सही
तोडा तो जुगनू ने
रात का अहम्
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समुद्र नहीं,
परछाई खुद की
लाँघो तो जाने
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छाँव की नहीं,
ऊंचाइयों की होड़ है
यूकेलिप्टिसों में
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तुम ही बताओ
खुदा औ भ्रष्टाचार
कहाँ नहीं है
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धूल ढकेगी
पत्तों की हरीतिमा
कितने दिन
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भारत के सबसे बड़े ज्योतिषी से मिलिए
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जी हाँ। आइये आपको मिलवाते हैं हमारे देश क्या शायद पूरे विश्व के सबसे बड़े
ज्योतिषी से ॥ ना ना , चोंकिये मत, सबसे बड़ा इसलिए कहा क्यूँकी शायद ही कोई
दूसरे ऐ...
15 years ago
10 comments:
बहुत खूब, लाजबाब !
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
धन्यवाद संजय जी.
beautiful dear. Keep sharing.
बहुत ही सुंदर । शायद इसे ही हाइकू कहते हैं ।
जी आशा जी, यही हाइकू कहलाती है..
बहुत ही सुंदर ।
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं...प्रभावशाली प्रस्तुति...
प्रत्येक क्षणिका अपने आप में पूरा एक काव्य है।...शुभकामनाएं।
धन्यवाद महेंद्र मिश्र जी और महेंद्र वर्मा जी..
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