मेरी पसंद में आज प्रस्तुत है इब्ने इंशा साहब के एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल - इंशाजी उठो अब कूच करो । वीडियो में इस ग़ज़ल को प्रस्तुत कर रहे हैं अपने समय के प्रसिद्द ग़ज़लकार उस्ताद अमानत अली खान। तो आप भी लुत्फ़ उठाइए एक बेहतरीन ग़ज़ल और उतनी ही बेहतरीन प्रस्तुति का -
इंशाजी उठो अब कूच करो,
इस शहर में जी का लगाना क्या
वहशी को सुकूं से क्या मतलब,
जोगी का नगर में ठिकाना क्या
इस दिल के दरीदा दामन में
देखो तो सही, सोचो तो सही
जिस झोली में सौ छेद हुए
उस झोली को फैलाना क्या
शब बीती चाँद भी डूब चला
ज़ंजीर पड़ी दरवाज़े पे
क्यों देर गये घर आये हो
सजनी से करोगे बहाना क्या
जब शहर के लोग न रस्ता दें
क्यों बन में न जा बिसराम करें
दीवानों की सी न बात करे
तो और करे दीवाना क्या
- इब्ने इंशा
भारत के सबसे बड़े ज्योतिषी से मिलिए
-
जी हाँ। आइये आपको मिलवाते हैं हमारे देश क्या शायद पूरे विश्व के सबसे बड़े
ज्योतिषी से ॥ ना ना , चोंकिये मत, सबसे बड़ा इसलिए कहा क्यूँकी शायद ही कोई
दूसरे ऐ...
15 years ago
1 comment:
kya baat hai akhil ji.. mujhe bhi ye bahut pasand hei..
Post a Comment